Sunday, 20 September 2020

भोजपुरी के वरिष्ठ कवि हरिद्वार प्रसाद किसलय के पचासी बरिस में 17 सितंबर,2020 के निधन

  •  श्रद्धांजलि
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जनभाषा भोजपुरी के वरिष्ठ कवि हरिद्वार प्रसाद किसलय के पचासी बरिस में 17सितंबर,2020के निधन

जनभाषा भोजपुरी के वरिष्ठ पहरूआ लोग जल्दी जल्दी दृश्य से ओझल होत जाता लोग।ए के आँसू(आरा)आ कृष्णानंद कृष्ण, जगन्नाथ जी, अक्षयवर दीक्षित जी के बाद वरिष्ठ कवि हरिद्वार प्रसाद किसलय जी के निधन17सितंबर,2020के मौलाबाग(आरा)स्थित डॉ ओ पी राजेन्द्र के क्लिनिक में रात11.02बजे हो गइल।20अक्टूबर के ऊहाँ के86वाँ जन्मदिन रहे।

किसलय जी के मृत्यु के सूचना युवा सामाजिक सांस्कृतिक एक्टिविस्ट रवि प्रकाश सूरज जी से 18 सितंबर के साँझ के मिलल।किसलय जी अबहीं अपना जनमभूईं राजापुर(जगदीशपुर प्रखंड में)मे स्वास्थ्य लाभ खातिर रहत रहीं।ओकरा पहिले चारपोखरी के पास कोरी गाँव में17जून,2020 से एक महीना तक रहीं। ओकरा पहिले छोट बेटा ऋषि शंकर के परिवार के साथे मौलाबाग (आरा) में किराया के मकान में प्रो रणविजय कुमार के भव्य कोठी के सामनेवाला मकान में रहत रहलीं। इसकूल में पढ़े घरी से ऊहाँ के प्रतिभाशाली रहीं। बहुत गरीब घर में जनम लिहले रहीं। ऊहाँ के पिताजी हरवाह रहीं। किसलय जिद्द कइके मैट्रिक पास कइलीं।शिक्षक प्रशिक्षण के बाद सन्1959में छोटा सासाराम(उदवंतनगर अंचल)में मध्य विद्यालय में शिक्षक नियुक्त भइलीं।अंतिम नियुक्ति मध्य विद्यालय, दुलौर(जगदीशपुर अंचल)में भइल।ऊहाँ के आपन पहचान कइलीं जे उनका भीतर एगो कवि बा, एगो संत बा।जनभाषा भोजपुरी के सेवा खातिर अपना के प्रतिबद्ध कइलीं।स्वाध्याय द्वारा छंद शास्त्र के ज्ञान अर्जित कइलीं।मरे के एक दिन पहिले तक ऊहाँ के मानसिक रूप से स्वस्थ रहीं आ रचनाशील रहलीं।एने एक दू दिन पर हमेशा फोन पर बातचीत होखे।ओइसे लॉकडाउन के पहिले हम मौलाबाग ऊहाँ के आवास पर मिले जात रहीं, ऊहों के मदनजी के हाता हमरा आवास पर आ जात रहीं।ऊहाँ के प्रकाशित किताबन के सूची बा-- (1) अक्षरमाला अन्ताक्षरी (1960), (2) गीत गंगा (गीत संग्रह),(3)विचार वाणी(कविता संग्रह),1999(4))तहस नहस (भोजपुरी नाटक, 2000), (5) साँढ़ छतीसा ह(2000),(6)संक्षिप्त शब्दावली बोध (2001), (7) शिवनारायण चालीसा(2002),(8)कह किसलय हरिद्वार-- कुण्डलिया संग्रह, (2004) ,कुण्डलिया संग्रह, भाग दू(2006) ,(10)परिवार शतक, प्रथम भाग,(2004),(11),परिवार शतक, तीसरा संस्करण(2011) (12)कह किसलय हरिद्वार-कुण्डलिया संग्रह, भाग तीन(2012)(13)कह किसलय हरिद्वार, कुण्डलिया संग्रह, भाग चार(14)कह किसलय हरिद्वार, कुण्डलिया संग्रह, भाग पाँच(15) कह किसलय हरिद्वार, कुण्डलिया संग्रह, भाग छह (16) दोहा संग्रह-- 600 दोहे, एकरा अलावे ऊहाँ के चंद्रमुखा देवी(पत्नी)के कविता संग्रह-राग में अनुराग के सम्पादन कइलीं आ पाल स्मारिका के सह सम्पादन कइलीं। एगो अद्भुत काम कइलीं 400 बरिस (1800से2200) तक के कैलेंडर तइयार कइलीं आ वीर कुँवर सिंह विश्वविद्यालय के वीसी सहित कइ गो मित्र लोग के खूब बढ़िया बाइंडिंग करा के दिहलीं। एक प्रति हमरो के देलीं।

किसलय जी के चार गो सुपुत्र रहे लोग। एक बेटा के निधन हो गइल, बाकी सबके के सुशिक्षित कइलन। गाँव में बढ़िया मकान बनवा दिहलन। शहर में बसे खातिर फिकिर ना कइलन। जीए खाए खातिर कुछ खेतो खरीदलन। सबसे उपलब्धि बा जे पुरा परिवार नशा से दूर आ निरामिष बा।

हरिद्वार प्रसाद किसलय जी के जीवन एगो तपस्वी आ भोजपुरी भाषा के साधक के रहल। ऊहाँ के सामाजिक जीवन में अजातशत्रु रहलीं।ऊहाँ के सामाजिक साहित्यिक प्रतिष्ठा रहे।पटना रेडियो स्टेशन में सन् 1979 से जुड़ल रहीं। ऊहाँ के सुकंठ रहीं आ आवाज बुलंद रहे।भोजपुरी भाषा के राज्याश्रय प्राप्त नइखे, प्रकाशन के कवनो सुविधा नइखे, पुस्तक विक्रय के कवनो संजाल नइखे, एह से खुद भोजपुरी पाठक ऊहाँ के बारे में बहुत कम जानत बाड़े।

हम स्मृतिशेष किसलय जी के सादर नमन करत बानीं।

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लेखक - जितेन्द्र कुमार
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इस लेख के लेखक - जितेंद्र कुमार


Sunday, 17 May 2020

आईं जाईं खाईं पीहीं / कवि - जितेंद्र कुमार

ग़ज़ल 





आईं जाईं खाईं पीहीं
फाटल आतम-कापड़ सीहीं

जात-धरम एहीजे तकले
ढाई आखर लीहीं-दीहीं

जिनिगी बा अनमोल रतन-धन
गूढ़ मरम जल्दी चीन्हीं

आइल बा अइसन काल-गरल
नफ़रत छोड़ीं सुख से जीहीं

ढेर ज़हर घोराइल बाटे
शंकर बनके बिख सभ पीहीं.
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कवि - जितेन्द्र कुमार
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Sunday, 10 May 2020

पहिले वाला गांव / कवि - जितेंद्र कुमार

गीत 





पहिले वाला गाँव के, कहाँ कवनो निसान
हर-बैल के बीतल जुग, लउके ना खरिहान

नाधा-जोती का भइल, अब के चिन्ही मेह
जुआठो इतिहास भइल, खतम गाँव में नेह

दंवरी, मेह, खरिहान के ना भइल विहान
नएका खेती मरलक, कलमदान के जान

निहाई धइलक कबाड़ ,बा कुदार बेधार
कहाँ लउकी भाथी अब,लोहार लोहसार

हार्वेस्टर के कटनी, करे पुअरा जिआन
का चबइहें गरु-डांगर, बा किसान हलकान

बाँचल बैल ना खूँटा, शहर गइल चरवाह
गाँव के शब्दकोश से, निकल गइल हरवाह

नदी के पेट में रेत, अब के जाला खेत
रतनधन मिलल बा रेत, महादशा में खेत

कतहीं भईयारी ना, कहाँ बा राग-रंग
अंतर से फाटल गाँव, केहु ना केहु संग

शराबबंदी के दौर, आ नशा बा अथाह
खलीहा पाउच फेंकल, सगरे राहे राह.
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कवि - जितेन्द्र कुमार
पता - आरा
मो.नं. 7979011585

Sunday, 29 March 2020

ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं / कवि - अमीर हमजा

1. कविता


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            घर में मेहरी के बेलन से होता  पिटाई
            बहरी पुलिस के डंडा से होता ठोकाई
            ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं

  हरदम  घर  में  दुबकल  रहिले
  सब के गारी  बात सुनत रहिले
  आपन   हाल  केकरा से बताईं
   ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं

             चूल्हा चउका  सब  काम करिले
             मेहरी के नहाय बदे पानी भरिले
             तबो बात बात पर करेले खिंचाई
              ए भाई  बोलs कहवाँ  हम जाईं

 प्यार के अब एहसास होखे लागल
 सुख दुःख के आभास होखे लागल
 जिनगी  के  इहे  बाटे  सच्चाई
 ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं

                हमरा माई के दुलार  मिले  लागल 
                हमरा मेहरी के प्यार मिले  लागल
                अइसन आराम कबो कहवाँ भेटाई
                ए  भाई  बोलs  कहवाँ  हम  जाईं

काम के  फेरा  में  सुख सब भुलइनी
पईसा के फेरा में रिश्ता सब भुलइनी
अइसन   मौका  फेर ना  भेटाई 
 ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं

             माई बाबू  के  सेवा  करे लगनी
             बेटा बेटी के  दुलार करे  लगनी
             अइसन सुख केहू से ना किनाई
             ए भाई बोलs  कहवाँ हम जाईं

घर के भीतरिया स्वर्ग जइसन लागेला
हमनी के प्यार देखी  दुःख दूर भागेला
लॉक डाउन के रउवो माजा उठाईं
 ए  भाई  बोलs  कहवाँ  हम जाईं.


2. ग़ज़ल

मर्द  के  दर्द  नाहीं  जाने  ला  दुनिया
रोवेला  ओकरे   दर्द  बुझेला  दुनिया
लोर  छुपा  छुपा  के  हँसेला  आदमी
दिल  के  भीतरी ना झाँकेला  दुनिया
ई  गजबे  समाज  के बाटे  तानाबाना
दर्द के  मजाक काहे उड़ावेला दुनिया
आदमी से  आदमी बाटे  परेसान इहाँ
गरीबवन के  काहे  सतावेला  दुनिया
रोटी देला से जादे  काहे मारेला ताना
बात बात पर  हमके रोवावेला दुनिया
सोची के जिया  हमर  होला  हरान हो
बनले के हरदम काहे बनावेला दुनिया
भूख  से देहिया हमर  बाटे पीअराइल
तब काहे नसेड़ी हमें बतावेला दुनिया
'हमज़ा'  के  हाल  नाहीं  पुछेला  केहू
झूठमूठ के  चोचला  देखावेला दुनिया.
      ......
कवि - अमीर हमज़ा
कवि के ईमेल - nirnay121@gmail.com
प्रतिक्रिया खातिर ब्लौग के ईमेल बा - editorbejodindia@gmail.com



Wednesday, 3 April 2019

"बिटिया छठी माई के" सुजीत वर्मा द्वारा निर्देशित बहुत बढ़िया साफ-सुथरी भोजपुरी फिलिम


शानदार ट्रेलर देखे खातिर-     इहाँ किलिक करीं



"बिटिया छठी माई के"  सुजीत वर्मा द्वारा निर्देशित बहुत बढ़िया फिलिम बा जे 12 अप्रैल 2019, चैती छठ के दिन बिहार एवं झारखण्ड में प्रदर्शित होईं। ई एगो पारिवारिक और बहुते साफ सुथरी फिलिम बा। भोजपुरी में अइसन फिलिम ना बनल अब तक। 

रौवाँ से अनुरोध बा कि ई फिलिम के अप्पन जियादा से जियादा आशीर्वाद दीं। जय भोजपुरी। 
ऊपर ई फिलिम के ट्रेलर के लिंक बा। जरूर देखीं।
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ओसामा खान




Saturday, 23 March 2019

भोजपुरी मिनी फ़िल्म फेस्टिवल, नई दिल्ली - 22 से 24 मार्च, 2019 तक भोजपुरी और मैथिली फिलीमन के देखाओल जाईं





दिनांक 24 तारीख 2019 के हैबिटैट फ़िल्म क्लब के आयोजन भोजपुरी मिनी फ़िल्म फेस्टिवल के आखिरी साँझ बा। 

• एह फ़िल्म फेस्टिवल के ओपनिंग फ़िल्म रहे दिनांक 22 मार्च के #फूलेना नाइट्स* निर्देशक अमित झा I
• दिनांक 23 मार्च के *भेंट* देखावल गईल जेकर निर्देशक रहनी आशीष पी मिश्र जी 
• आज तीसरका आ अंतिम दिन ह. एह दिन भोजपुरी के चार गो शार्ट फ़िल्म 
• ललका गुलाब (अमित मिश्र) 
• कोहबर (उज्ज्वल पांडेय) 
• ब्रीथ (राहुल के सिंह), 
• दान(राजू उपाध्याय)   
• एक ठो मैथिली के शार्ट फ़िल्म कवि कल्पना (निर्देशक विकास झा) देखावल जाई। 
रउरा सबसे निहोरा बा जे आपन बेशकीमती समय में से थोड़ा समय निकाल के इंडिया हैबिटेट सेंटर के गुलमोहर सभागार में शाम 6:30 पर आयीं आ साफ सुथरा भोजपुरी खातिर प्रयासरत लोगन के हौसला के बल मिलो। फिल्मन के लेखक निर्देशक बतकहीँ खातिर उपस्थित रहीहें।

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आलेख- एम्. के. पाण्डेय 
प्रस्तुति - सुभाष कुमार 
प्रतिक्रिया हेतु ईमेल आईडी - editorbejodindia@yahoo.com





Sunday, 10 March 2019

दिवंगत भोजपुरी गीतकार अनिरुद्ध जी के साहित्यिक परिचय / जीतेंद्र कुमार

प्रेम आ प्रकृति के अद्भुत गीतकार 
प्रकृति से बिम्ब उठावे में अद्भुत रूप से सक्षम

अगली पंक्ति में - बायीं ओर ब्रजभूषण मिश्र, बीच में अनिरुद्ध जी, दायीं ओर जितेंद्र कुमार

91वर्षीय भोजपुरी के वरिष्ठतम गीतकार अनिरुद्ध जी के निधन मुजफ्फरपुर (बिहार) में ऊहाँ के आवास पर 7 मार्च, 2019 को हो गइल। ऊहाँ के निधन से भोजपुरी भासा के अपूरणीय क्षति होइल।ऊहाँ के गीतन के तीन गो किताब प्रकाशित बा----
(1)पनिहारिन, प्रथम प्रकाशन-1989,सरोज प्रकाशन,5,टैगोर हिल्स रोड, राँची
(2)कृष्ण बाल-लीला आ दोहावली, वनांचल प्रकाशन, तेनुघाट साहित्य परिषद्, तेनुघाट-1
(3)गीतन के गाँव में, वनांचल प्रकाशन, तेनुघाट साहित्य परिषद्, तेनुघाट-1


अनिरुद्ध जी के जनम सारण जिला के डीही ग्राम में9मार्च,1928के भइल रहे।ऊहाँ के पिता स्व जगदेव सहाय जी उर्दू-फारसी के विद्वान रहीं।ऊहाँ के शिक्षा राजपूत हाई स्कूल आ राजेन्द्र कॉलेज छपरा में भइल रहे ऊहाँ के आइए पास रहलीं।ऊहाँ के सन्1950से1986तक बेसिक स्कूल में अध्यापन कार्य कइले रहीं। सन्1986में ऊहाँ के प्रधानाध्यापक के पद से अवकाश ग्रहण कइलीं।पहिले अनिरुद्ध जी हिंदी में कविता लिखे के शुरू कइलीं। सन्1950से ऊहाँ जमके भोजपुरी भाषा में कविता आ गीत लिखे लगलीं।ऊहाँ के बिहार, उत्तर प्रदेश, प. बंगाल, मध्य प्रदेश आदि राज्यन में कवि गोष्ठियन में सक्रिय रूप से भाग लेत रहलीं।
कलस किरन छलके
घाट-बाट पनिघट-पनिघट पर, कलस किरन छलके।
नयन खोलकर पान, चान सिर, ज्ञान सुधा टपके।।


किरन कलश उझिले सूरज, धो कलुष द्वेष भागे।
घर-घर भरे घाट-घाट घट, गाँव-गाँव जागे
जन-गन के जिनगी चहके, खिल फूल-फूल महके।।
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बसंत-1
भोर पियरी टहकार रँगे घाम,
लिखे रँग-रँग नव रेशम पतइन, मउसम के नाम।


बाग-बाग वन-वन बगियन, बसंत आ गइल।
तरु-तरु रँग-रँग नव रेशम पट पहिरा गइल।
किरन के सितार पर भैरवी बजा गइल।
गंधी तन-तन परान बन-बन महकावत बा।
बिहग-बृन्द बन्दीगण चहकत गुन गावत बा।
लग जाईं हिया बिरिछ बँहिया फइला गइल।
बसंत आ गइल।।

अनिरूद्ध जी प्रेम आ प्रकृति के अद्भुत गीतकार रहीं। प्रकृति से बिम्ब उठावे में ऊहाँ के अद्भुत रूप से सक्षम रहीं। अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन के कार्यकारिणी के पिछला बइठक डॉ ब्रजभूषण मिश्र जी के आवास पर सम्पन्न भइल रहे। मीटिंग के बाद सभ कार्यकारिणी सदस्य अनिरुद्ध जी के आवास पर ऊहाँ से मिले गइल।आज ब्रजभूषण मिश्र जी के फोन आइल कि समाचार दुखद बा, अनिरुद्ध जी ना रहलीं।



हम फिर कहत बानी कि अनिरुद्ध जी के क्षमता के गीतकार विरले पैदा ले ला।भोजपुरी भाषा के समृद् करे में ऊहाँ के पूरा जिनिगी लगा देलीं।


हमार विनम्र श्रद्धांजलि बा
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आलेख - जीतेंद्र कुमार
चित्र सौजन्य - जीतेंद्र कुमार
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