Wednesday 13 December 2017

बिहारी धमाका के मेन पेज पर भोजपुरी पोस्टन के सूची

नीचे देल गेल बा मेन पेज पर भोजपुरी पोस्टबन के सूची -


परिचय दास के कविता सीरीज- 'सलीमा'
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/08/bhojpuri-poems-by-parichay-das-and.html

खूँटा में दाल- भगवती प्रसाद द्विवेदी
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/07/pulse-in-peg-bhojpuri-article-by.html

बलभद्र कल्याण के स्मृति सभा में भोजपुरी कविता
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/10/01102017.html

डॉ. रमेश पाठक के गीत अउर कविता
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/04/dr-ramesh-pathak-poet-in-bhojpuri-and.html

भगवती प्रसाद द्विवेदी के कविता
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/05/bhojpuri-kavitayen-bhagwati-prasad.html

भोजपुरी रचनाकारन के सूची
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/04/some-popular-writers-in-maithili.html

भोजपुरी रचनाकार के मोबाइल नम्बर
http://biharidhamaka.blogspot.in/2017/05/contact-numbers-provided-by-bihari.html




Tuesday 28 November 2017

'पचमेल' के सलाम - ध्रुव गुप्त के आलेख एवं भोजपुरी गजल

भोजपुरी के दशा-दिशा पर बतकही भी भईल अउर छोटहन कविता गोष्ठी भी
ध्रुव गुप्त रचित भोजपुरी गजल नीचे पढ़ीं समूचा

भोजपुरी साहित्य, कला अउर संस्कृति के बचावे आ बढ़ावे खतिरा गठित 'पचमेल' के परसों छपरा में आयोजित पहिलका-पहिलका जुटान भोजपुरी साहित्य के पुरोधा स्वर्गीय पाण्डेय कपिल के नावे समर्पित रहे। सम्मलेन में स्व पाण्डेय कपिल के योगदान के ईयाद कईला के अलावा भोजपुरी के दशा-दिशा पर बतकही भी भईल अउर छोटहन कविता गोष्ठी भी। एह आयोजन में बिहार के कोना कोना से चहुंपल भोजपुरी के विद्वान, रचनाकार, संस्कृतिकर्मी - डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना, प्रो नीरज सिंह, डॉ जयकांत सिंह जय, ब्रजभूषणमिश्र, उदय नारायण सिंह, पृथ्वीराज सिंह, तंग इनायतपुरी, वैद्यनाथ प्रसाद विकल, अमरेन्द्र सिंह, संजय सिंह, दक्ष निरंजन शम्भू, कमलाकर मिश्र, कश्मीरा सिंह, तीस्ता उर्फ़ अनुभूति शांडिल्य, प्रीतम पाण्डेय सांकृत, कुमार चंदन, अशोक शेरपुरी, प्रेम किशोर, प्रिंस अभिषेक, दीपक गुप्ता, देवेन्द्र नाथ तिवारी के संगे भागीदारी के सम्मान हमरो मिलल। एहिमे कौनो संदेह नईखे कि 'पचमेल' के गठन आ जुटान से छपरा के ठहरल सांस्कृतिक जीवन में तनि परान के संचार भी भईल होई आ अपना माई भाषा भोजपुरी खतिरा परेम भी जागल होई। भाषण देबे त हमरा ना आवेला, बाकी लोग के कहला पर एगो भोजपुरी ग़ज़ल हमहू सुना देहनी।

भोजपुरी गजल

भईल बिहाने दरवज्जा पर कुकुर हांफे 
गईया मांगे सानी-पानी पोंछ उठा के

खेत-खेत में लाठी, घर-घर झगड़ा-टंटा
कहे दरोगा देख तमासा गांठ कटा के

घर में भूंजी भांग ना कईसे चली फुटानी 
भाग बटेसरा गोहाटी के टिकस कटा के

अचरा गिरा के घास गढ़े मत जो मुह्झौसी 
रस्ते में सहुआ बईठल बा आंख गड़ा के

सुनरी के अंगना में जबसे उचरल कागा 
झमके झोंटा में गमकौवा तेल लगा के

बाप कहे सतुआ पर चोखा-चटनी चाहीं 
बेटवा गरजे जांगर बा तs देख कमा के

दुई लबनी ताड़ी में बबुआ दुख बिसरा दे
चल झमकौले मेहरी के फटही पहिरा के

कहे मदारी, दउर बनरिया नाच के पहिले 
जा बाबू- भईया के आवs पेट देखा के !
(-ध्रुव गुप्त)
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आलेख एवं गजल - ध्रुव गुप्त
ईमेल - dhruva.n.gupta@gmail.com
छायाचित्र - पृथ्वी राज सिंह
लेखक का परिचय- श्री धुव गुप्त किसी परिचय के मुहताज नहीं है. वे अत्यंत लोकप्रिय लेखक, गज़लगो एवं कवि हैं. इनकी रचनाएं देश के सबसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रोज प्रकाशित होती रहती हैं. फेसबुक पर इनके 35000  से अधिक फौलोवर्स हैंं. ये भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत अधिकारी भी हैं.