1. कविता
घर में मेहरी के बेलन से होता पिटाई
बहरी पुलिस के डंडा से होता ठोकाई
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
हरदम घर में दुबकल रहिले
सब के गारी बात सुनत रहिले
आपन हाल केकरा से बताईं
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
चूल्हा चउका सब काम करिले
मेहरी के नहाय बदे पानी भरिले
तबो बात बात पर करेले खिंचाई
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
प्यार के अब एहसास होखे लागल
सुख दुःख के आभास होखे लागल
जिनगी के इहे बाटे सच्चाई
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
हमरा माई के दुलार मिले लागल
हमरा मेहरी के प्यार मिले लागल
अइसन आराम कबो कहवाँ भेटाई
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
काम के फेरा में सुख सब भुलइनी
पईसा के फेरा में रिश्ता सब भुलइनी
अइसन मौका फेर ना भेटाई
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
माई बाबू के सेवा करे लगनी
बेटा बेटी के दुलार करे लगनी
अइसन सुख केहू से ना किनाई
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं
घर के भीतरिया स्वर्ग जइसन लागेला
हमनी के प्यार देखी दुःख दूर भागेला
लॉक डाउन के रउवो माजा उठाईं
ए भाई बोलs कहवाँ हम जाईं.
2. ग़ज़ल
मर्द के दर्द नाहीं जाने ला दुनिया
रोवेला ओकरे दर्द बुझेला दुनिया
लोर छुपा छुपा के हँसेला आदमी
दिल के भीतरी ना झाँकेला दुनिया
ई गजबे समाज के बाटे तानाबाना
दर्द के मजाक काहे उड़ावेला दुनिया
आदमी से आदमी बाटे परेसान इहाँ
गरीबवन के काहे सतावेला दुनिया
रोटी देला से जादे काहे मारेला ताना
बात बात पर हमके रोवावेला दुनिया
सोची के जिया हमर होला हरान हो
बनले के हरदम काहे बनावेला दुनिया
भूख से देहिया हमर बाटे पीअराइल
तब काहे नसेड़ी हमें बतावेला दुनिया
'हमज़ा' के हाल नाहीं पुछेला केहू
झूठमूठ के चोचला देखावेला दुनिया.
......
2. ग़ज़ल
मर्द के दर्द नाहीं जाने ला दुनिया
रोवेला ओकरे दर्द बुझेला दुनिया
लोर छुपा छुपा के हँसेला आदमी
दिल के भीतरी ना झाँकेला दुनिया
ई गजबे समाज के बाटे तानाबाना
दर्द के मजाक काहे उड़ावेला दुनिया
आदमी से आदमी बाटे परेसान इहाँ
गरीबवन के काहे सतावेला दुनिया
रोटी देला से जादे काहे मारेला ताना
बात बात पर हमके रोवावेला दुनिया
सोची के जिया हमर होला हरान हो
बनले के हरदम काहे बनावेला दुनिया
भूख से देहिया हमर बाटे पीअराइल
तब काहे नसेड़ी हमें बतावेला दुनिया
'हमज़ा' के हाल नाहीं पुछेला केहू
झूठमूठ के चोचला देखावेला दुनिया.
......
कवि - अमीर हमज़ा
कवि के ईमेल - nirnay121@gmail.com